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खरीफ में सोयाबीन की खेती के लिए कृषि विभाग ने किसानों को दी अहम सलाह :लागत घटाने में मिलेगी मदद

खरीफ में सोयाबीन की खेती के

Soybean Farming:

सोयाबीन खरीफ मौसम के दौरान महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। इसकी तैयारी किसानों ने शुरू कर दी है। कृषि विभाग ने भी अपने स्तर से किसानों की मदद करना शुरू कर दिया है.

खरीफ सीजन अब कुछ ही दिन दूर है। कृषि विभाग ने उत्पादन बढ़ाने और लागत कम करने के लिए काम शुरू कर दिया है। किसानों को बुवाई से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इस पर महत्वपूर्ण सलाह दी जा रही है, ताकि भविष्य में उत्पादन बढ़ाने से उन्हें लाभ हो सके। पिछले साल भारी बारिश से सोयाबीन की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था, जिससे सोयाबीन के बीज की किल्लत हो गई है।

इसके विकल्प के तौर पर कृषि विभाग ने किसानों से घर के बीजों पर ध्यान देने की अपील की है. बीजों की कोई कमी नहीं है, इसलिए कृषि विभाग ने किसानों को गर्मियों में सोयाबीन की खेती करने की सलाह दी थी, जो सफल भी रही। पिछले साल प्रकृति की चपेट में आने के बावजूद कृषि विभाग इस बात का ध्यान रख रहा है कि इस साल कहीं कोई चूक न हो।

पिछले साल हुई बारिश में सोयाबीन की गुणवत्ता भी खराब हुई है। इसी वजह से कृषि विभाग किसानों से अपील कर रहा है कि घर के बीजों की अंकुरण क्षमता को देख कर वहीं बोएं। कृषि विभाग का कहना है कि खरीफ सीजन में किसानों के साथ बीज को लेकर ठगी की जाती है.बाजार से लाए गए सोयाबीन के बीज को लेकर किसान अक्सर शिकायत करते हैं कि बीज ठीक से अंकुरित नहीं होते हैं।

सोयाबीन की खेती पर ज्यादा जोर खरीफ में :

वाशिम जिले में सोयाबीन के 60 प्रतिशत क्षेत्र में बोया जाता है. जिला कृषि अधीक्षक शंकर तोतावर का कहना है कि पिछले साल की बारिश कारण आशंका है कि सोयाबीन के बीज की गुणवत्ता खराब हो गई हो. इस वजह से हम किसानों को बाजार से लाए गए बीजों की जगह घर के बीजों का उपयोग करने की सलाह दे रहे हैं. किसानों ने गर्मी में भी सोयबीन की खेती की है, इसिलए बीज की किल्लत होने की उम्मीद कम है.सोयाबीन खरीफ मौसम की प्रमुख फसल है. कम लागत और उच्च उत्पादकता के कारण विदर्भ और मराठवाड़ा में क्षेत्र दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है.

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