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प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए नाबार्ड ने शुरू किया कार्यक्रम जीवा, 11 राज्यों में चलेगा अभियान

प्राकृतिक खेती

नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (NABARD) ने बुधवार को पर्यावरण के अनुकूल खेती को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम जीवा शुरू किया। यह नाबार्ड के 11 राज्यों में चल रहे वाटरशेड (वाटरशेड) और वाडी (आदिवासी विकास परियोजनाओं) कार्यक्रमों के तहत प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देगा।

नाबार्ड के अध्यक्ष जीआर चिंताला ने लॉन्च के अवसर पर आयोजित एक ‘ऑनलाइन’ कार्यक्रम में कहा, “जीवा वाटरशेड कार्यक्रम कई परियोजनाओं की परिणति है … इसे हमारे मौजूदा या पूर्ण होने वाले वाटरशेड और वाटरशेड सहित 11 राज्यों में लागू किया गया है।” योजना का। वाडी कार्यक्रमों के तहत क्रियान्वित किया जाना है। इसमें पांच भौगोलिक क्षेत्र शामिल हैं। ये क्षेत्र पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील और वर्षा सिंचित क्षेत्र हैं।

उन्होंने कहा कि जीवा का उद्देश्य स्थायी आधार पर पर्यावरण के अनुकूल कृषि के सिद्धांतों को सुनिश्चित करना और किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित करना है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन क्षेत्रों में व्यावसायिक खेती काम नहीं कर सकती है। नाबार्ड प्रमुख ने कहा, ‘हम इस कार्यक्रम के तहत प्रति हेक्टेयर 50,000 रुपये का निवेश करेंगे। जीवा कार्यक्रम को 11 राज्यों में 25 परियोजनाओं में पायलट आधार पर लागू किया जाएगा।

कार्यक्रम जीवा

जलवायु परिवर्तन एक चुनौती
नाबार्ड जीवा के लिए राष्ट्रीय और बहुपक्षीय एजेंसियों के साथ गठजोड़ करेगा। चिंताला ने कहा कि नाबार्ड ऑस्ट्रेलिया स्थित कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (CSIRO) के साथ साधारण मृदा जल निगरानी तकनीकों के लिए और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के साथ मिलकर अनुसंधान सहायता के लिए प्राकृतिक कृषि गतिविधियों के वैज्ञानिक सत्यापन के लिए सहयोग करेगा।

इस अवसर पर मौजूद नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक चुनौती है और इसके बारे में अभी सोचना काफी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हमें इससे निपटने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। हमें कार्बन को वापस मिट्टी में डालने के उपाय करने की जरूरत है। मुझे अब तक प्राकृतिक खेती के अलावा किसी अन्य तकनीक की जानकारी नहीं है जो ऐसा कर सकती है।

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