सावन में व्रत रखने की सिर्फ मान्यता ही नहीं बल्कि इसकी खास है वज़ह , जानिए क्यों होता है ज़रूरी व्रत करना

सावन में व्रत रखने की सिर्फ मान्यता ही नहीं बल्कि इसकी खास है वज़ह , जानिए क्यों होता है ज़रूरी व्रत करना, आज 4 जुलाई मंगलवार से हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन या श्रावण माह का प्रारंभ हो गया है। इस साल अधिक मास होने की वजह से सावन 2 माह का पड़ेगा। हिंदू धर्म के हिसाब से सावन पूरे महीने में भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है. आयुर्वेद के हिसाब से सावन के महीने में इस वजह से करना चाहिए व्रत. इस पूरे महीने में जितने भी सोमवार पड़ेंगे ज्यादातर महिला-पुरुष व्रत रखकर भगवान महादेव की पूजा करेंगे. सोमवार के दिन व्रत में लोग एक वक्त का ही खाना खाते हैं. वह भी एकदम सात्विक खाना. सिर्फ इतना ही नहीं इस पूरे महीने लोग सात्विक खाना खाते हैं. लेकिन कभी आपने सोचा है सावन के पूरे महिने लोग सात्विक खाना ही क्यों खाते हैं? क्यों पुराने जमाने से ही लोग फास्टिंग करते चले आ रहे हैं.

सावन में व्रत रखने की केवल हिन्दू धर्म की मान्यता ही नहीं बल्कि इसके पीछे साइंस का भी बड़ा लॉजिक है। आदिकाल से व्रत करना स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना गया है। व्रत में भोजन का त्याग कर केवल फल या फिर सात्विक चीजों का आहार किया जाता है। जिससे हमारे अंदर के विकार खत्म होते है और हमारा पाचनतंत्र भी सही हो जाता है। पूरे मौसम लोग सात्विक भोजन करते हैं और उन चीजों का सेवन करते हैं जोकि आसानी से पेट द्वारा पचा लिया जाए। लेकिन, कभी आपने सोचा है कि पुराने समय में सावन में फास्टिंग की परंपरा क्यों बनाई गई होगी। दरअसल, आयुर्वेद में भी इसके बारे में बताया गया है। आज हम इन सभी सवालों के जवाब जानने की कोशिश करेंगे.

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सावन के बरसाती महीने में व्रत रखना ज़रूरी क्यों

सावन के महीने में खूब बारिश होती है. इस दौरान फास्टिंग करने के खास मायने है. आयुर्वेद के मुताबिक इस मौसम में बारिश की वजह से साग-सब्जियों कम ही मार्केट में आ पाते हैं. वहीं दूसरी तरफ पत्ते और हरी सब्जियों में कीड़े लगने लगते हैं. इसे खाने के बाद पेट से जुड़ी समस्याएं बहोने लगती है. साथ ही इस मौसम में इसलिए दूध पीने से भी मना किया जाता है क्योंकि घास पर कीड़े-मकौड़े लग जाते हैं. ऐसे में जब गाय घास खाती है तो उसका दूध बी टॉक्सिक हो जाता है. इसलिए इस मौसम में दूध वाली चीजें भी खाने से मना किया जाता है क्योंकि पेट खराब हो जाता है.

बारिश में पाचन तंत्र कमजोर रहता है

सावन, मानसून सीजन में आता है और इस मौसम में उमस के साथ गर्मी ज्यादा रहती है। ये उमस आपके पाचन तंत्र को सुस्त बना देती है और गट हेल्थ को बिगाड़ देती है। इससे आपको पेट और आंतों से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। जैसे कि पहले तो बदहजमी, गैस, एसिडिटी, सूजन और पेट भरा होने का लगातार एहसास जैसी समस्याएं।

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व्रत करने के फायदे

आयुर्वेद के मुताबिक सावन के महीने में अगर आप एक दिन भी व्रत रखते हैं तो आपको हेल्थ से जुड़ी समस्याएं नहीं होगी. इसे करके बहुत सारी पेट सी जुड़ी समस्याओं से बचा जा सकता है. पेट खराब होने से बचाता है. साथ ही ब्लोटिंग, गैस, एसिडिटी की समस्या से भी निजात दिलाता है. इस व्रत को करने से शरीर पर जमा फैट एनर्जी में तबदील हो जाता है. इस दौरान शरीर अच्छे से डिटॉक्स हो जाता है. इसलिए इस दौरान व्रत करने के अपने फायदे हैं

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