Monday, June 5, 2023
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साल का पहला ‘हाइब्रिड’ सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को लगेगा, 100 साल बाद एक ही दिन दिखेंगे 3 तरह के सूर्य ग्रहण ,जानें क्या होता है सूतक काल?

साल का पहला ‘हाइब्रिड’ सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को लगेगा, 100 साल बाद एक ही दिन दिखेंगे 3 तरह के सूर्य ग्रहण , जानें क्या होता है सूतक काल?, 2023 का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल गुरुवार को लगने वाला है।ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रहण एक बहुत बड़ी खगोलीय घटना है और इसलिए दुनियाभर के वैज्ञानिकों की नजर इस पर रहती है.क्योंकि सूर्य ग्रहण का प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ता है. जहां कुछ राशियों की जिंदगी में यह ग्रहण खुशियां लेकर आता है. वहीं कुछ राशि की जिंदगी में तूफान आने का संकेत देता है. इस बार 100 साल बाद ऐसा होने वाल है की इस सूर्य ग्रहण में आपको एक ही दिन में 3 अलग अलग तरह के सूर्य ग्रहण देखने को मिलेंगे। इस तरह के सूर्य ग्रहण को ‘हाइब्रिड’ सूर्य ग्रहण, कहा जाता है।इसे निंगालू या संकर सूर्य ग्रहण भी कहा जाता है.

ज्योतिष और खगोलीय दृष्टिकोण से ग्रहण लगने की घटना को महत्वपूर्ण माना जाता है. इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल 2023 को लगने वाला है जोकि कई मायनों में खास होगा. सूर्य ग्रहण मेष राशि में लगेगा और गुरु मेष राशि में आकर सूर्य के साथ युति बनाएंगे. साथ ही पंचांग के अनुसार ग्रहण वैशाख अमावस्या के दिन लगने वाला है, जिसे बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है.सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है सूतक काल, इस दौरान कुछ कार्यों को करने की मनाही होती हैं. साथ ही ग्रहण के दौरान कुछ नियमों का भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण होता है. अधिकतर लोग जानते हैं कि सूर्य ग्रहण से पहले सूतक काल लग जाता है और ग्रहण समाप्त होने पर हटता है. यह सूतक काल बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. आइए जानते हैं क्या होता है सूतक काल और इस दौरान कौनसे काम नहीं करने चाहिए.

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सूर्य ग्रहण 2023 का समय

बता दें कि खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार इस बार 20 अप्रैल को सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. जो कि 20 अप्रैल को सुबह 7 बजकर 5 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा. यानि कुछ 5 घंटे 24 मिनट तक सूर्य ग्रहण रहेग. लेकिन यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा.

क्या होता है सूतक काल?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है. सूतक काल को अशुभ समय माना जाता है. यानि सूतक काल के दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए. इस दौरान कुछ नियमों का विशेष तौर पर ध्यान रखने की सलाह दी जाती है. खासतौर पर गर्भवती महिलाओ को सूतक काल में बहुत सी सावधानियां बरतनी होती हैं. क्योंकि ग्रहण का प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ता है.

कुछ लोगों को सूतक काल को लेकर यह भ्रांति है कि सूर्य ग्रहण कहीं भी हो लेकिन सूतक काल हर जगह लगता है. ऐसे में स्पष्ट कर दें कि जहां सूर्य ग्रहण दिखाई देता है, केवल उसी जगह पर सूतक काल मान्य होता है. अन्य जगहों पर सूतक काल नहीं माना जाता.

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क्या है हाईब्रिड सूर्य ग्रहण

हाईब्रिड सूर्य ग्रहण वह होता है, जिसमें सूर्य ग्रहण आंशिक, पूर्ण और कुंडलाकार का मिश्रण होता है. ऐसा ग्रहण 100 साल में एक बार लगता है. इसमें सूर्य ग्रहण के समय चंद्रमा की धरती से न तो ज्यादा दूरी होती है और न ही कम. इस अद्भुत सूर्य ग्रहण में कुछ सेकंड के लिए एक वलय (रिंग) जैसी आकृति बनती है. इसे ‘अग्नि का वलय’ या रिंग ऑफ फायर भी कहा जाता है.साल 2023 का पहला सूर्य ग्रहण बहुत ही खास और दुर्लभ होगा. इसमें एक ही दिन 3 तरह के सूर्य ग्रहण दिखाई देंगे. यानी सूर्य ग्रहण को तीन रूपों (आंशिक, पूर्ण और कुंडलाकार) में देखा जा सकेगा.

आंशिक सूर्य ग्रहण: चंद्रमा जब सूर्य के किसी छोटे हिस्से के सामने आकर उसे रोकता है, तो इसे आंशिक सूर्य ग्रहण कहा जाता है.

कुंडलाकार सूर्य ग्रहण: चंद्रमा जब सूर्य के ठीक बीच में आकर उसके रोशनी को रोक देता है तो सूर्य के चारों तरफ एक चमकदार रोशनी का गोला बनता है. इसे ही ‘अग्नि का वलय’ कहा जाता है.

पूर्ण सूर्य ग्रहण: पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा जब एक सीधी रेखा में होते हैं, तब पृथ्वी के एक भाग में पूरी तरह से अंधेरा छा जाता है और ऐसे में पूर्ण सूर्य ग्रहण होता है. पूर्ण सूर्य ग्रहण को खुली आंखों से देखने पर नुकसान भी हो सकता है.

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