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पाकिस्तान आर्थिक तंगी से हुआ दाने-दाने का मोहताज, भूखे रहने की नौबत और कंगाली से निकलने के लिए अब आई भारत की याद

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पाकिस्तान: पाकिस्तान आर्थिक तंगी से हुआ दाने-दाने का मोहताज, भूखे रहने की नौबत और कंगाली से निकलने के लिए अब आई भारत की याद, यह पाकिस्तान में पिछले कुछ हफ्तों से भारी आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. और यहा आटा-दाल, तेल-गैस सबकी कीमत आसमान छू रहे हैं. और यह 350 रुपये लीटर पेट्रोल बिक रहा है तो 200 रुपये किलो चावल मिल रहा है. और ऐसे में अब बेबस पाकिस्तान सरकार IMF के साथ-साथ अपने कई मित्र देशों से मदद की गुहार लगा रहा है. ऐसे में पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार को अब कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है. यह बहुत ही भूखे रहने की नौबत आ गयी है।

पाकिस्तान आर्थिक तंगी से हुआ दाने-दाने का मोहताज, भूखे रहने की नौबत और कंगाली से निकलने के लिए अब आई भारत की याद

पाकिस्तान आर्थिक तंगी से हुआ दाने-दाने का मोहताज, भूखे रहने की नौबत और कंगाली से निकलने के लिए अब आई भारत की याद

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आपको बता दे की यह रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के इकोनॉमिस्ट सरकार को सलाह दे रहे हैं कि अब आर्थिक संकट से उबरने के लिए भारत से सुझाव मांगना चाहिए. और यह विशेषज्ञ ने भारत के उन फैसलों की तारीफ की, जो उसने दशकों पहले आर्थिक संकट के वक्त लिया था.  और यह पाकिस्तानी-अमेरिकी आर्थिक मामलों के जानकार ने इस्लामाबाद को सलाह दी है कि उसे आर्थिक मामलों को सुलझाने के लिए भारत की तरह योग्य लोगों को नियुक्त करना चाहिए. यह पाकिस्तान ने भारत से मदद मांग रहा है।

इसमें आपको बता दे की यह प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर आतिफ मियां ने ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन के एक पैनल डिस्कशन में पाकिस्तान सरकार को सुझाव दिया. और यह बता दें कि इन दिनों पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार की जमकर आलोचना हो रही है. आतिफ मियां ने कहा, ‘एक राजनीतिक नेतृत्व का सबसे अहम काम महत्वपूर्ण मुद्दों से निपटने के लिए योग्य लोगों और टीम को नियुक्त करना है. इसका सही चुनाव करने से आपको यह कस्ट नहीं होता।

पाकिस्तान आर्थिक तंगी से हुआ दाने-दाने का मोहताज, भूखे रहने की नौबत और कंगाली से निकलने के लिए अब आई भारत की याद

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यह पाकिस्तान ने भारत की तारीफ की और यह आतिफ मियां ने चर्चा के दौरैन भारत की जमकर तारीफ की और कहा, ‘1990 के दशक में, तब भारत सरकार यह बात समझ गई थी कि देश का कायाकल्प करने के लिए उन्हें योग्य लोगों की जरूरत है.’ और वे किसे लेकर आए, वे मनमोहन सिंह जैसे लोगों को लेकर आए, जो बेहद कुशल और सम्मानित व्यक्ति हैं. यह आतिफ मियां ने कहा, ‘अगर ऐसे फैसले लेते वक्त आप योग्यता की जगब परिवार को अधिक वरीयता देंगे. और यह अगर सभी अहम पदों पर अपने भाई, अपने बहनोई, अपनी बेटी और भतीजों को नियुक्त करेंगे तो आप 22 करोड़ लोगों के देश को नहीं चला सकते है इसमें मनमोहन सिंह की बात कहि है।