लीथियम का पहला भंडार मिला जम्मू-कश्मीर में, अब भारत को नहीं जाना होगा दूसरे देश, भारत के लिए एक बड़ी खुशखबर मिली है जिसमे सरकार ने गुरुवार को घोषणा करके बताया कि देश में पहली बार लिथियम का बड़ा भंडार पाया गया है. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India ) ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में 59 लाख टन लिथियम के भंडार पाए गए हैं. लाइव साइंस के अनुसार, लिथियम एक हल्की धातु है जिसका उपयोग कई कार्यों में होता है. लिथियम बाइपोलर डिसऑर्डर का उपचार करने, बीमारी या स्ट्रेस में होने वाले वाइल्ड मूड स्विंग को स्थिर करने में मदद करता है. लिथियम नाम ‘लिथोस’ से आया है, जो एक ग्रीक शब्द है. ग्रीक में लिथोस का मतलब ‘पत्थर’ होता है.
देश में विभिन्न मूल्यवान धातुओं के भंडार खोजने के लिए लगातार प्रयासरत भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) को बड़ी सफलता मिली है। जीएसआई ने जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में लीथियम के भंडार का पता लगाया है। यह देश में मिला लीथियम का पहला भंडार है।जीएसआई को जम्मू-कश्मीर में सोने के डिपोजिट भी मिले हैं।खनन मंत्रालय ने कहा था कि उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के लिए सरकार ऑस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना से लिथियम सहित खनिजों को सुरक्षित करने के लिए कई सक्रिय उपाय कर रही है.
लिथियम क्या होता है

लिथियम एक अलौह धातु है और इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की बैटरी में इस्तेमाल होने वाले प्रमुख घटकों में से एक है. लिथियम और आयन से बनी बैटरियों में लेड-एसिड बैटरियों या निकेल-मेटल हाइड्राइड बैटरियों की तुलना में उच्च ऊर्जा घनत्व होता है. इसलिए समान ऊर्जा भंडारण क्षमता को बनाए रखते हुए बैटरी के आकार को दूसरों की तुलना में छोटा बनाना संभव है. दुनिया भर में सरकारों द्वारा ईवी पर जोर देने के साथ, इन वाहनों के निर्माण में लिथियम बहुत महत्वपूर्ण हो गया है.लीथियम आयन बैटरियों की क्षमता ज्यादा होती है और अन्य रासायनिक क्रियाओं पर आधारित बैटरियों की तुलना में इनकी उम्र भी लंबी होती है। लीथियम आयन बैटरियों के दम पर ही इलेक्ट्रिक वाहनों की रेंज बढ़ाने में मदद मिली है और एक ही चार्ज में 500 से 700 किलोमीटर तक चलने वाली कारें बन पा रही हैं। लीथियम आयन बैटरियों से ही एक चार्ज पर कई दिन चलते रहने वाले मोबाइल फोन बन पाए हैं। अभी भारत अपनी जरूरत के लिए लीथियम आयन बैटरियां आयात करता है।बता दें कि लिथियम को व्हाइट गोल्ड भी कहा जाता है.
मोबाइल फोन, लैपटॉप और इलेक्टिग गाड़ियों की बैटरी में उपयोग

बैटरियों की बढ़ती जरूरत और उनमें लीथियम के प्रयोग को देखते हुए यह भंडार रणनीतिक रूप से देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकता है। अभी जो भंडार मिला है, वहां 59 लाख टन लीथियम होने का अनुमान है। सेंट्रल जियोलॉजिकल प्रोग्रामिंग बोर्ड (सीजीपीबी) की 62वीं मीटिंग में खान सचिव विवेक भारद्वाज ने बताया, ‘देश में पहली बार लीथियम का भंडार मिला है, वह भी जम्मू-कश्मीर में। बात चाहे मोबाइल फोन की हो या सोलर पैनल की, कुछ अहम खनिजों की आवश्यकता सदैव रहती है।’लिथियम का इस्तेमाल मोबाइल फोन, लैपटॉप और इलेक्टिग गाड़ियों की बैटरी बनाने में किया जाता है.
11 राज्यों में खनिजों के भंडार

सीजीपीबी की बैठक में जीएसआई ने 11 राज्यों में विभिन्न खनिजों के भंडार मिलने की जानकारी संबंधित राज्यों को दी है।इन राज्यों में जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु और तेलंगाना शामिल हैं। इसलिए महत्वपूर्ण है लीथियमटेक्नोलॉजी के बढ़ते दौर में शायद ही कोई होगा जिसने लीथियम आयन बैटरी का नाम न सुना हो। बैटरी से संचालित लगभग हर उपकरण में इन्हीं बैटरियों का प्रयोग होता है और इस बैटरी का मूल घटक लीथियम ही है।मंत्रालय ने आगे कहा, लिथियम और गोल्ड सहित 51 खनिज ब्लॉक संबंधित राज्य सरकारों को सौंप दिए गए. इन 51 खनिज ब्लॉकों में से 5 ब्लॉक सोने से संबंधित हैं और अन्य ब्लॉक जम्मू और कश्मीर (यूटी), आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु और तेलंगाना समेत 11 राज्यों में फैले पोटाश, मोलिब्डेनम, बेस मेटल आदि जैसी वस्तुओं से संबंधित है. जीएसआई द्वारा फील्ड सीजन 2018-19 से अब तक किए गए कार्यों के आधार पर ब्लॉक तैयार किए गए थे. इनके अलावा कुल 789.70 करोड़ टन कोयले और लिग्नाइट से संबंधित 17 रिपोर्टें भी कोयला मंत्रालय को सौंपी गईं है.
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आयात पर निर्भरता कम होगी

आयात पर निर्भरता कम करने के लिए आवश्यक है कि देश में महत्वपूर्ण खनिजों के भंडार खोजे जाएं और उनकी प्रोसेसिंग हो। उन्होंने देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सोने का आयात कम करने की जरूरत का भी उल्लेख किया। टेक्नोलॉजी के बढ़ते प्रयोग को देखते हुए सरकार महत्वपूर्ण धातुओं की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने की दिशा में सतत प्रयास कर रही है। इसके लिए ऑस्ट्रेलिया एवं अर्जेंटीना में भी खदानें ली जा रही हैं। अभी लीथियम, निकेल और कोबाल्ट जैसे कई अहम खनिजों के लिए भारत आयात पर निर्भर है।वर्तमान में, भारत लिथियम, निकल और कोबाल्ट जैसे कई खनिजों के लिए आयात पर निर्भर है. इन खनिजों के 50% भंडार तीन दक्षिण अमेरिकी देशों- अर्जेंटीना, बोलीविया और चिली में केंद्रित हैं.
भारत अपनी जरूरत का बड़ा हिस्सा लिथियम के रूप में बाहरी देशों से आयात करता है. 2020 में लिथियम आयात करने के मामले में भारत विश्व में चौथे नंबर पर था. इतना ही नहीं करीब 80 प्रतिशत लिथियम-ऑयन बैटरियों का हिस्सा भारत अपने पड़ोसी देश चीन से मंगाता है. वहीं भारत अर्जेंटीना, चिली, ऑस्ट्रेलिया और बोलिविया जैसे लिथियम के धनी देशों की खदानों में हिस्सादारे खरीदने की दिशा में भी काम कर रहा है.