कर्नाटका के मौनेश्वर मंदिर में भगवान को लगाया जाता है गांजे का भोग, फिर बांटा जाता है इसका प्रसाद, वजह है बेहद खास

Mauneshwar Temple: कर्नाटका के मौनेश्वर मंदिर में भगवान को लगाया जाता है गांजे का भोग, फिर बांटा जाता है इसका प्रसाद, वजह है बेहद खास. भारत देश में अनगिनत ऐसे मंदिर है जो अपनी विशेष मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। बहुत से प्राचीन मंदिर ऐसे है जिसमे भगवान को भोग के रूप में हलवा, पूरी, खीर, मिठाई आदि का ही भोग लगाया जाता है, लेकिन कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जहां भगवान को अनोखे तरह के प्रसाद का भोग में लगाया जाता हैं. जो अपने इस विशेष भोग की वजह से दूर दूर तक प्रशिद्ध है। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे जो दक्षिण भारत के उत्तर कर्नाटका में स्थित इसहै यह मंदिर भगवान महादेव का मौनेश्वर मंदिर है। जहां भगवान को भांग का भोग लगाया जाता है. इसी वजह से यह मंदिर अपनी अनोखी परंपरा के लिए बेहद मशहूर है ,आए जानते है इसके पीछे की दिसचस्प वजह।

मौनेश्वर मंदिर में भगवान को लगाते है गांजा का भोग

आप सभी तो जानते ही है की देश में गांजा की बिक्री या खरीदारी पर रोक हैं.क्योकि यह एक नशीला पदार्थ है। लेकिन इसके कुछ औषधीय गुण भी है।बता दे की मौनेश्वर मंदिर में प्रसाद के रूप में गांजा ही मिलता है. उत्तरी कर्नाटक के यादगीर जिले स्थित मौनेश्वर मंदिर में कहते हैं कि इस मंदिर में जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा से पूजा अर्चना करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है. और यहाँ पर प्रसाद के रूप में गांजा बांटा जाता है. यह परंपरा यहां कई सालों से चली आ रही है.

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इस मंदिर में की जाती है मनप्पा भगवान की पूजा

आपको जानकारी के लिए बता दे की यहां के लोगों का ऐसा मानना है कि गांजे के सेवन से उन्हें आध्यात्मिक शांति मिलती है. ओर यह परंपरा कई पीढ़ियों से चली आ रही है। बता दे की उत्तर कर्नाटका के मौनेश्वर मंदिर में जनवरी के महीने में मेला भी लगाया जाता है. इस दौरान मौनेश्वर या मनप्पा भगवान की पूजा के बाद भक्तों को प्रसाद में गांजा बांटा जाता है.

कर्नाटका के मौनेश्वर मंदिर में भगवान को लगाया जाता है गांजे का भोग, फिर बांटा जाता है इसका प्रसाद, वजह है बेहद खास

गांजे का सेवन आध्यात्मिक ज्ञान के पथ पर चलने में मदद करता है

यहां के अधिकांश लोग गांजे का सेवन ध्यान लगाने के लिए करते हैं. यहां के लोगों का मानना है कि यह एक पवित्र घास हैं जिसकी आदत भी नहीं लगती. साथ ही इसके सेवन से आध्यात्मिक ज्ञान के पथ पर चलने में मदद मिलती है. इसका प्रसाद के रूप में दिन या हफ्ते में एक बार प्रयोग किया जाता है. कहते हैं इससे ही वे ध्यान लगा पाते हैं. साथ ही इनको आतंरिक शांति का अनुभव होता है।

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शारना, शपथ, अवधूत समुदाय के लोग बांटते है गांजे का प्रसाद

आपको जेकरि के लिए बता दे की इस प्रशिद्ध कर्नाटका में स्थित मौनेश्वर मंदिर में शारना, शपथ, अवधूत समुदाय के लोग इसे भगवान का प्रसाद मान कर अलग-अलग रूप में इसका सेवन करते हैं और श्रद्धालुओं को बांटते हैं. उनके अनुसार भगवन को इसका भोग लगाने से हर मनोकामना को पूरा किया जा सकता है।

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