कांवड़ यात्रा के है महत्त्वपूर्ण नियम , घर के सदस्य भी न करे ये भूल , कांवड़िए को हो सकती है परेशानी

कांवड़ यात्रा के है महत्त्वपूर्ण नियम , घर के सदस्य भी न करे ये भूल , कांवड़िए को हो सकती है परेशानीसावन के पवित्र माह में लोग भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए लोग हरिद्वार से कांवड़ (Kanwar )के जरिए गंगाजल लेकर आते हैं. इसके बाद सावन शिवरात्रि के दिन उससे शिवलिंग का जलाभिषेक किया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया को ही कांवड़ यात्रा कहा जाता है। सावन का पावन महीना भोलेनाथ की अराधना के लिए बेहद ही खास माना गया है और इस माह पूरे विधि-विधान से उनका पूजन किया जाता है. सावन के महीने में कांवड़ लाने की भी परंपरा है और इस दौरान लोग हरिद्वार से पदयात्रा के जरिए कांवड़ लेकर आते हैं. फिर सावन माह की शिवरात्रि के दिन कांवड़ में लाए गए गंगाजल से शिवलिंग (Sawan Shivratri 2023) से जलाभिषेक किया जाता है.

कांवड़ लाने के कुछ नियम होते हैं जिनका पालन करना अनिवार्य माना गया है. सबसे महत्वपूर्ण बात है कि जिस घर से कोई कांवड़ लेने जाता है उस घर के सदस्यों को भी विशेष नियमों का पालन करना चाहिए. आइए जानते हैं कांवड़िए के साथ उनके परिवारजनों को कौनसे नियमों का पालन करना चाहिए. हर साल की तरह इस साल भी लाखों भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बहुत से उपाय करते हैं और इसी बीच कांवड़ यात्रा भी आरंभ होती है, जिसका अपना एक अलग ही महत्व होता है। बहुत से श्रद्धालु सुख-समृद्धि की कामना लिए इस पावन यात्रा के लिए निकलते हैं। भगवान शिव को समर्पित इस कांवड़ यात्रा में श्रद्धालु पवित्र गंगा जल या फिर किसी नदी विशेष के शुद्ध जल से अपने ईष्ट देव का जलाभिषेक करते हैं, जिससे भगवान प्रसन्न होकर अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करते हैं। ऐसे में इस बार आप भी कांवड़ यात्रा पर जाने की सोच रहें हैं तो उससे पहले उस यात्रा से जुड़े कुछ नियमों को जान लेना बहुत जरूरी है।

यह भी पढ़े :रागी से बनाये टेस्टी और हेल्दी ढोकला , झटपट होगा तैयार , देखे यह आसान रेसिपी

कांवड़िए के लिए नियम-

कांवड़ यात्रा के दौरान बगैर स्नान किए कांवड़ को स्पर्श करना मना होता है, इसलिए नहाने के बाद ही अपना कांवड़ लेकर आगे बढ़ना चाहिए।

भगवान शिव को समर्पित इस यात्रा के दौरान कभी भी कांवड़ को जमीन पर नहीं रखा जाता है। यदि कहीं शौच, विश्राम आदि के लिए रुकना ही पड़ जाए तो इसे पेड़ आदि ऊंचे स्थानों पर रखा जाता है।

यात्रा के दौरान पवित्रता का पूरा ख्याल रखें और कांवड़ यात्रा पर चमड़े से बनी किसी चीज़ का न तो प्रयोग करें और न ही स्पर्श करें।

कई लोग कांवड़ को सिर के ऊपर रख लेते हैं, जबकि शास्त्रों में ऐसा करना मना है। इसके अलावा किसी वृक्ष या पौधे के नीचे कांवड़ को रखना मना है।

जो भक्त कांवड़ यात्रा पर जाते हैं, वह कभी भी यात्रा के दौरान गलत शब्दों का प्रयोग, क्रोध और विवाद नहीं कर सकते।

कांवड़ यात्रा के दौरान बोल बम और जय शिव-शंकर का जयकारा या फिर शिव मंत्रों का जाप या भगवान का ध्यान करें।

कांवड़ यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार का नशा जैसे मांस, मदिरा, भांग आदि का सेवन न करें। इस पावन यात्रा के दौरान भूलकर भी तामसिक भोजन न करें।

कांवड़ यात्रा के इन नियमों का पालन करने के साथ-साथ भगवान शिव के प्रति श्रद्धा एवं भक्ति का भाव होना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।

यह भी पढ़े :बारिश में इस छोटी सी चीज की खेती बना देगी मालामाल , जानिए कैसे करे इलायची फार्मिंग

कांवड़िए के घर के लोगो के लिए ये नियम

यदि घर से कोई कांवड़ लेने गया है तो उस घर के किसी सदस्य को तामसिक भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए. ता​मसिक भोजन में प्याज, लहसुन और मांसाहारी भोजन

शामिल होता है. इस नियम का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि इसे अनदेखा करने से भोलेनाथ की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है.

वैसे तो सावन के महीने में मदिरा का सेवन करना वर्जिता होता है लेकिन जिस घर से कोई कांवड़ लेने जाता है वहां किसी को गलती से भी शराब का सेवन नहीं करना चाहिए. ऐसा करना अशुभ माना गया है और इसकी वजह से जीवन में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

ध्यान रखें कि घर से यदि कोई कांवड़ लेने गया है तो उस घर में गर्म तवे पर रोटी नहीं डालनी चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से कांवड़िए के पैरों में

छाले पड़ जाते हैं. रोटी डालते समय तवे को गैस से उतारकर फिर रोटी डालें और तवा वापस गैस पर रख दें.

जिस घर का कोई पुरुष कांवड़ लेने जाता है तो उसकी मां, पत्नी या बहन को रोजाना शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग को जल चढ़ाना चाहिए. इसे कांवड़िए की यात्रा शुभ
होती है और भगवान शिव का भी आशीर्वाद मिलता है.

कांवड़ लाने के बाद उस कांवड़ को घर के नजदीक किसी मंदिर में रखा जाता है और फिर शिवरात्रि वाले दिन उस जल से भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है.

You may have missed