इस बार वट सावित्री व्रत पर 30 साल बाद बन रहा है खास संयोग , जानिये शुभ महुर्त और पूजा विधि, भारत में हिन्दू मान्यतानुसार पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिन महिलाओ द्वारा वट सावित्री व्रत किया जाता है। हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि के दिन व्रत सावित्री का व्रत रखा जाता है. इस साल वट सावित्री का व्रत 19 मई 2023 को रखा जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस बार साल वट सावित्री व्रत पर 30 साल बाद खास संयोग बन रहा है। इस दिन कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है जो कई राशियों पर धन की बरसात करेगा.
वट सावित्री के दिन बरगद के पेड़ का पूजन किया जाता है और हिंदू धर्म में इसका खास महत्व माना गया है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन माता सावित्री अपने पति सत्यवान को यमराज से छीनकर वापिस ले आई थीं. कहा जाता है की वट सावित्री व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा करने से त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, महेश का आशीर्वाद मिलता है, जिससे वैवाहिक जीवन में कभी संकट के बादल नहीं आते. वट सावित्री का व्रत करवाचैथ की तरह बहुत ही कठिन और फलदायी होता है. (Vat Savitri Vrat Pujan Samagri List) इस व्रत में पूजन सामग्री के बारे में पता होना जरूरी है क्योंकि बरगद के पेड़ की पूजा में सामग्री काफी महत्वपूर्ण होती है. आइए जानते हैं कि वट सावित्री व्रत की पूजन सामग्री और बरगद के पेड़ का महत्व.
बरगद के पेड़ की पूजा की है परंपरा

आपको बता दे वट सावित्री व्रत में वट वृक्ष यानि बरगद के पेड़ का खास महत्त्व होता है। इस दीन वैट वृक्ष की पूजा की जाती है। धर्म पुराणों के अनुसार वट यानि बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का वास होता है. बरगद का पूजन करने से इन देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है. वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए इसका पूजन करती हैं. पुराणों के अनुसार बरगद का पेड़ अकेला ऐसा वृक्ष है जो कि 300 से ज्यादा सालों तक जीवित रहता है यानि इस पेड़ की आयु बहुत लंबी होती है.

पौराणिक कथानुसार जब यमराज ने सत्यवान के प्राण छीन लिए थे तो उनकी पत्नी सावित्री ने बरगद के पेड़ के नीचे सत्यवान को लिटाया और वहीं बैठकर पूजन किया गया. जिसके बाद ज्येष्ठ अमावस्या के दिन सत्यवान को प्राण वापस मिल गए. तभी से वट सावित्री व्रत व पूजा का विधान है.
30 साल बाद बन रहा है शुभ संयोग

ज्येष्ठ अमावस्या पर वट सावित्री व्रत की शुरुआत 18 मई को शाम 07.37 मिनट पर होगी और 19 मई को शाम 06.17 मिनट पर समाप्ति होगी. इस साल वट सावित्री व्रत पर शश योग, गजेकसरी योग और शोभन योग का संयोग बन रहा है जिससे कई राशियां लाभान्वित होंगी. इस दिन शनि जयंती भी है, जानकारों के अनुसार 30 साल बाद शनि जयंती पर शोभन योग का संयोग बन रहा है जिससे कई राशियां लाभान्वित होगी.
वट सावित्री व्रत पूजा सामग्री

वट सावित्री व्रत रखने वाली महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करने से पहले सावित्री-सत्यवान की प्रतिमा, लाल कलावा, कच्चा सूता, धूप-अगरबत्ती, मिट्टी का दीपक, घी, फल, रोली मिष्ठान, सवा मीटर कपड़ा, नारियल, पान, अक्षत, सिंदूर सहित अन्य सिंगार के समान मंगा लें.
वट सावित्री व्रत पूजा विधि

वट सावित्री व्रत रखने वाली महिलाएं स्नान करने के बाद वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान की मूर्ति रख कर विधि विधान से पूजा करें. इसके बाद वट वृक्ष पर जल चढ़ाएं. साथ ही कच्चे सूते से वट के वृक्ष में सात बार परिक्रमा करते हुए बांध दें. अब महिलाएं सावित्री-सत्यवान के प्रतिमा के सामने रोली, अक्षत, भीगे चने, कलावा, फूल, फल अर्पित करें.