‘गलत तरीके’ से बाल काटने पर मॉडल के 2 करोड़ मुआवजा देने की मांग , सुप्रीम कोर्ट ने NCDRC के आदेश पर लगाई रोक, सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में एक होटल के सैलून में गलत तरीके से बाल काटने पर एक मॉडल को हुई पीड़ा एवं आय की हानि के कारण उसे दो करोड़ रुपये मुआवजा दिए जाने के राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) के आदेश को खारिज कर दिया. अदालत ने कहा कि वह आईटीसी मौर्य में सैलून द्वारा ‘सेवा में खामी’ के संबंध में आयोग के निष्कर्ष में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता. उसने मामले को एनसीडीआरसी को भेज दिया ताकि महिला को मुआवजे को लेकर अपने दावे के संबंध में सबूत पेश करने का मौका दिया जा सके. उसने कहा कि एनसीडीआरसी इसके बाद रिकॉर्ड में रखी गई सामग्री के अनुसार मुआवजे की मात्रा के संबंध में नया निर्णय ले सकता है.
दरअसल आईटीसी लिमिटेड के पांच सितारा होटल के एक सैलून ने आशना रॉय नामक मॉडल के गलत तरीके से बाल काट दिए थे.इसके बाद उनका गलत ट्रीटमेंट हुआ जिससे मॉडल को पीड़ा हुई और मॉडल ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) शिकायत दर्ज़ करवा दी।राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने होटल को महिला को दो करोड़ रुपये मुआवाजा देने का आदेश जारी किया था लेकिन जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने आईटीसी लिडिटेड द्वारा दायर एक याचिका में एनसीडीआरसी के आदेश को खारिज कर दिया और नए सिरे से जांच करने को कहा गया। दरअसल, महिला को अपने दावे के संबंध में सबूत पेश करने का मौका दिया गया था लेकिन वो ऐसा कर पाने में विफल रहीं।
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जानिए क्या है पूरा मामला?

दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल में एक सैलून में महिला का गलत बाल काटना महंगा पड़ गया.मॉडला आशना रॉय अप्रैल 2018 में दिल्ली के एक सैलून में बाल कटवाने पहुंची. उन्होंने बाल कैसे काटना है ये बताया। इसके बावजू सैलून कर्मचारी ने गलत तरीके से बाल काट दिए.उन्होंने सैलून मैनेजर से शिकायत की. मैनेजर ने मुफ्त ट्रीटमेंट की पेशकश की. इसके बाद उनके सिर पर खुजली होने लगी. बताया जा रहा है कि महिला के न सिर्फ गलत तरीके से बाल काटे गए, बल्कि उसका गलत उपचार भी किया गया. इससे महिला टॉप मॉडल नहीं बन पाई. जिसके बाद मामला एनसीडीआरसी की चौखट पर पहुंचा और एनसीडीआरसी ने सितंबर 2021 में पीड़िता को बतौर 2 करोड़ रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में यहां एक होटल के सैलून में गलत तरीके से बाल काटने पर एक मॉडल को हुई पीड़ा एवं आय की हानि के कारण उसे दो करोड़ रुपए मुआवजा दिए जाने के राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के आदेश को खारिज कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि वह आईटीसी मौर्य में सैलून द्वारा ‘सेवा में खामी’ के संबंध में आयोग के निष्कर्ष में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता।
मॉडल आशना रॉय ने बयान में कहा

मॉडल ने कहा कि बाल काटे जाने के बाद से उनका एक`बड़ी मॉडल बनने का सपना टूट गया. वह मानसिक रूप से भी टूट गई. उनकी नौकरी भी चली गई . इस दौरान होटल ने महिला के बालों के उपचार में भी लापरवाही बरती. कर्मचारियों की लापरवाही में उपचार में उनका सिर जल गया, जिससे उन्हें एलर्जी भी हो गई.
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) के आदेश

शिकायकर्ता ने जो व्हाट्सऐप चैट जारी किया, उसमें होटल ने अपनी गलती माना है. होटल ने फ्री में बाल का ट्रीटमेंट करने की पेशकश करके गलती को कवर करने की कोशिश की. ऐसे में आयोग ने होटल को निर्देश दिया है कि वह 8 हफ्ते में 2 करोड़ रुपये का मुआवजा दे.आयोग ने कहा, शिकायतकर्ता आशना रॉय के बाल बहुत लंबे थे. इसकी वजह से वह बालों के उत्पादों के बड़े ब्रांडों के लिए मॉडलिंग करती थीं. बाल काट दिए जाने की वजह से उन्हें काम खोना पड़ा और बड़ा नुकसान झेलना पड़ा.
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश किया खारिज़

न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने आशना रॉय की शिकायत पर NCDRC के सितंबर 2021 के आदेश के खिलाफ आईटीसी लिमिटेड द्वारा याचिका पर यह फैसला सुनाया. पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘एनसीडीआरसी के आदेश के अवलोकन से हमें मुआवजे की मात्रा निर्धारित करने के लिए किसी भी भौतिक साक्ष्य पर चर्चा या संदर्भ नहीं मिलता है.’ उसने कहा कि शीर्ष अदालत ने रॉय से बार-बार अनुरोध किया कि जब उसने 12 अप्रैल 2018 को बाल कटाए थे, उस समय वह अपनी नौकरी के सबंध में एनसीडीआरसी के समक्ष रखी गई सामग्री के बारे में जानकारी दे.
पीठ ने कहा कि न्यायालय ने रॉय से अतीत में किए विज्ञापन एवं मॉडलिंग से जुड़े अपने काम दिखाने या वर्तमान एवं भविष्य में उसके किसी भी ब्रांड के साथ किए करार पेश करने को कहा था, ताकि उसे हुए संभावित नुकसान का आकलन किया जा सके. उसने कहा कि प्रतिवादी (रॉय) उपरोक्त प्रश्नों के संबंध में जवाब देने में पूरी तरह विफल रही. पीठ ने कहा कि इस मामले में दो करोड़ रुपए मुआवजा अत्यधिक एवं असंगत है.पीठ ने आदेश में कहा कि एनसीडीआरसी के आदेश के अवलोकन से हमें मुआवजे की मात्रा निर्धारित करने के लिए किसी भी भौतिक साक्ष्य पर चर्चा या संदर्भ नहीं मिलता है।