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सरकारी सब्सिडी से शुरू करें इस खास चीज की खेती : है बंपर कमाई

सफेद चंदन की खेती शुरू करने के लिए केवल 80 हजार से 1 लाख रुपये का निवेश

अब लोग पुराने तरीकों के बजाय नए और आधुनिक तरीके से खेती :

आज लोग खेती की ओर रुख कर रहे हैं। ऐसा शुरू से ही किसान ही नहीं बल्कि पढ़े-लिखे लोग भी कर रहे हैं। अब लोग पुराने तरीकों के बजाय नए और आधुनिक तरीके से खेती कर रहे हैं। लोग आजकल ऐसी चीजों की खेती कर रहे हैं जिनकी बाजार में मांग ज्यादा है। जैसे लोग फूलों, औषधीय पौधों आदि की खेती अधिक करते हैं

सफेद चंदन की खेती शुरू करने के लिए केवल 80 हजार से 1 लाख रुपये का निवेश

अब अगर आप ऐसे ही खेती करने की सोच रहे हैं तो हम आपको एक बेहतरीन आईडिया (IDEA) देने जा रहे हैं। आप सफेद चंदन की खेती कर सकते हैं। सफेद चंदन की खेती शुरू करने के लिए केवल 80 हजार से 1 लाख रुपये का निवेश करना होगा और आपको लगभग 60 लाख रुपये का लाभ मिलेगा। सफेद चंदन के पेड़ के तेल और लकड़ी दोनों का उपयोग औषधि बनाने के लिए किया जाता है। सफेद चंदन का तेल व्यापक रूप से साबुन, सौंदर्य प्रसाधन और इत्र में उपयोग किया जाता है।
चंदन की खेती में ज्यादा मेहनत नहीं लगती है। आप रेतीली भूमि पर भी सफेद चंदन की खेती कर सकते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि चंदन की खेती के लिए हरियाणा सरकार भी सहायता देती है। सरकार द्वारा पौधे खरीदने, पानी के टैंक बनाने और ड्रिप सिंचाई प्रणाली स्थापित करने के लिए सब्सिडी दी जाती है।

  • सबसे ज्यादा पैसा चंदन के पौधों पर खर्च

इस धंधे में सबसे ज्यादा पैसा चंदन के पौधों पर खर्च होता है। अगर आपके पास कहीं खाली जमीन और प्लॉट पड़ा हुआ है तो आप चंदन लगाकर पैसा कमा सकते हैं। यदि आप सिंचाई और रख-रखाव की व्यवस्था सही रखेंगे तो आपको एक एकड़ में चंदन का बाग लगाने में ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ेगा। वैसे एक एकड़ में सफेद चंदन लगाने में करीब 1 लाख रुपये का खर्च आता है।

चंदन के पौधे को उगने में आमतौर पर 10 साल लगते हैं।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पौधा लगाने से पहले खेती के लिए अच्छी तैयारी कर लें। उदाहरण के लिए, पौधे लगाने के लिए खोदे गए गड्ढों में जैविक खाद डालना पड़ता है। चंदन के पौधे को उगने में आमतौर पर 10 साल लगते हैं। वैसे चंदन के बाग में पहले 3 साल तक बीच में खाली जगह पर सब्जियां लगाकर आप अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं। सफेद चंदन की खेती पूरी तरह से जैविक है। इसलिए, इसमें कोई उर्वरक और रसायन नहीं मिलाना है। इस वजह से इसकी देखभाल में ज्यादा खर्च नहीं आता है।

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