Wednesday, March 29, 2023
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इस तकनीक से खेती करें किसान, सरकार भी देगी सवा लाख तक की सब्सिडी, होंगा भरपूर लाभ

इस तकनीक से खेती करें किसान, सरकार भी देगी सवा लाख तक की सब्सिडी, होंगा भरपूर लाभ :-

। ज्यादातर सब्जी उत्पादन में सब्जियों के सड़ने की दिक्कत आती है। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ता है। इससे बचने के लिए किसान साथी स्टेकिंग विधि (Stacking Method) का इस्तेमाल कर सकते है।और इतना ही नहीं इसके लिए सरकार सवा लाख रुपये तक की आर्थिक मदद भी देगी. यानी स्टेकिंग स्कीम किसानों के लिए बेहद मुनाफे का सौदा है. जानकारी के लिए बता दे कि हरियाणा सरकार सब्जियों में बांस व लोहे की स्टेकिंग का प्रयोग करने के लिए किसानों (Farmers) को 50 से 90 प्रतिशत तक सब्सिडी दे रही है. इसके लिए आप ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं. और इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को बागवानी पोर्टल पर आवदेन भी करना होगा. आज के हाईटेक व अत्याधुनिक युग में खेती में नई-नई तकनीकें उभरकर भी सामने आ रही हैं. इससे किसानों को कई तरह के फायदे मिल रहे हैं.

हरियाणा सरकार सब्जियों में बांस व लोहे की स्टेकिंग का प्रयोग करने के लिए किसानों को 50 से 90 प्रतिशत तक सब्सिडी दे रही :-

सब्जियों की खेती के लिए स्टेकिंग ऐसी ही एक विधि का नाम है, जिसे अपनाकर किसान सब्जी उत्पादन में अच्छा लाभ कमा रहे हैं.. इस पर पौधों की लताएं अधिक फैल जाती हैं. जिससे करेला, लौकी, मिर्च, बैंगन और टमाटर सहित कई सब्जियों का अच्छा उत्पादन हो सकता है. इसमें पैदावार भी ज्यादा होती है. नई-नई तकनीकों से खेती करने का सबसे मोटा फायदा होता है कि मुनाफे में इजाफा हो जाता है. इसलिए सरकार बांस स्टेकिंग व लौह स्टेकिंग पर अलग-अलग अनुदान भी दे रही है.

कितना पैसा मिलेगा:- फरीदाबाद के जिला उपायुक्त जितेन्द्र यादव ने बताया कि बांस स्टेकिंग की लागत अगर 62 हजार 500 रुपए है तो प्रति एकड़ पर 31250 से लेकर 56250 रुपए की धनराशि विभाग द्वारा दी जा रही है. लोहा स्टैकिंग पर लागत 1. 41 लाख रुपए प्रति एकड़ है तो इस पर 70500 से लेकर 1.26 लाख रुपए तक की सब्सिडी (Subsidy) किसानों को मिल रही है. बांस स्टैकिंग व लौह स्टैकिंग पर अधिकतम अनुदान क्षेत्र 1 से 2.5 एकड़ तक है. इस बारे में अधिक जानकारी वेबसाईट व 0172-2582322 पर फोन द्वारा ली जा सकती है.

स्टेकिंग तकनीक का फायदा :- जिला उद्यान अधिकारी डॉ रमेश कुमार ने बताया कि प्रदेश के किसान पहले पुरानी तकनीक से ही सब्जियों और फलों की खेती (Fruit Farming) करते थे. लेकिन अब किसान स्स्केटिंग तकनीक का इस्तेमाल कर खेती कर रहे हैं. क्योंकि यह तकनीक बहुत ही ज्यादा आसान है. इस तकनीक में बहुत ही कम सामान का प्रयोग ही होता है.