एरोपोनिक तकनीक :
एरोपोनिक तकनीक को हरियाणा के करनाल जिले में आलू प्रौद्योगिकी केंद्र द्वारा विकसित किया गया है। सरकार ने इसे बनाया
स्वीकृत, साथ ही मध्य प्रदेश बागवानी विभाग को इस तकनीक का लाइसेंस देने का अधिकार देने का निर्णय लिया।
गया है।
एरोपोनिक तकनीक । बच्चे हों या बड़े, आलू के व्यंजन सभी के लिए बनते हैं.
आलू की खेती बहुतायत में करते हैं :
यह बहुत पसंद है। देश में किसान आलू की खेती बहुतायत में करते हैं। आलू मूंगफली का कंद है, इसलिए इसे जमीन में ही उगाया जाता है।
जा रहा है।
लेकिन अब एक ऐसी तकनीक- ‘एरोपोनिक’ हमारे सामने है, जिसके जरिए हवा में आलू की खेती संभव है।
करने में सक्षम। इस तकनीक के इस्तेमाल से लागत कम और मुनाफा ज्यादा होगा।
धुंध के रूप में पोषक तत्वों का छिड़काव :
एरोपोनिक तकनीक में पोषक तत्वों को धुंध के रूप में जड़ों में छिड़का जाता है। पौधे का ऊपरी भाग खुली हवा और प्रकाश
में रहता है। इस प्रकार पौधे को पूर्ण पोषण मिलता है।
बीमारियों की संभावना कम :
सबसे अच्छी बात यह है कि इस तकनीक के प्रयोग से आलू की उपज में मिट्टी जनित बीमारियों का खतरा नहीं रहता है।
संभावना भी कम है, जिससे किसानों को नुकसान कम और लाभ की संभावना ज्यादा है।
विज्ञान और तकनीक ने आज असंभव को संभव कर दिखाया है। अब जमीकंद माने जाने वाले आलू की खेती हवा में होगी.
आलू की खेती की इस नई तकनीक को अपनाकर किसानों को संबंधित विभाग से पर्याप्त जानकारी मिलनी चाहिए।
मुनाफा बढ़ना चाहिए।