प्रतिवर्ष 4-5 लाख रुपए आराम से कमा सकते :
रजनीगंधा की खेती (rajnigandha ki kheti) में लागत और कमाईसामान्य खेत में एक हेक्टेयर में रजनीगंधी की खेती (tuberose cultivation) करने में 1-2 लाख का खर्च आता है। इसकी खेती से पहले साल में प्रति हेक्टेयर लगभग 90 से 100 क्विंटल फूल प्राप्त होते हैं। इससे आप प्रतिवर्ष 4-5 लाख रुपए आराम से कमा सकते हैं
इस समय फसल की देखभाल करें :
जिन किसानों ने रजनीगंधा खेती कर रखी है, वो इस समय फसल की देखभाल करें. खासकर कीटों और रोगों से फसल को बचाने के लिए
जरूरी दवाओं का इस्तेमाल करें. रजनीगंधा में तना गलन रोग होने की आशंका रहती है. इस बीमारी के कारण पत्तों की सतह पर फंगस
और हरे रंग के धब्बे भी देखे जा सकते हैं. कई बार पौधों से पत्ते झड़ भी जाते हैं.
रजनीगंधा में धब्बा और झुलसा रोग भी लगता है. ये रोग अक्सर बरसात के मौसम में फैलता है. ऐसे में किसानों को फिलहाल इस रोग को
लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है. फिर भी आपकी जानकारी के लिए हम बता देते हैं कि इस रोग के कारण फूलों पर गहरे भूरे रंग के
धब्बे दिखाई देते हैं. रोगों से रजनीगंधा को बचाने के लिए समय पर कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेकर उचित उपाय करें.
कीट व रोग से बचाव भी जरूर
रजनीगंधा की किस्म
फूल के आकार-प्रकार तथा संरचना एवं पती के रंग के अनुसार रजनीगंधा की किस्में को चार वर्गों में विभाजित किया गया है।
1. एकहरा – फूल सफेद रंग के होते हैं तथा पंखुड़ियाँ केवल एक ही पंक्ति में होती है।
किस्म-श्रृंगार, प्रज्जवल, लोकल ।
2. डबल – इसके फूल भी सफेद रंग के ही होते हैं परन्तु पंखुड़ियों का ऊपरी शिरा हल्का गुलाबी रंगयुक्त होता है। पंखुड़ियाँ कई पंक्ति में सजी होती हैं जिससे फूल का केन्द्र बिन्दु दिखाई नहीं देता है।
किस्म-सुवासिनी, वैभव, लोकल ।
3. अर्थ डबल – इस वर्ग के फूल में पंखुड़ियाँ एक से अधिक पंक्ति में होती हैं परन्तु फूल का केन्द्र बिन्दु दिखाई देता है। लोकल किस्में।
4. धारीदार – इस किस्म के पुष्प सिंगल या डबल होते हैं परन्तु पत्तियों का किनारा सुनहरा या सफेद होता है। पत्तियों के आकर्षक रंगों एवं विभिन्नता के आधार पर स्वर्ण रेखा एवं रजत रेखा नामक दो किस्में विकसित की गयी हैं ।