अगर हाथ में नहीं रुकता पैसा , आज सावन प्रदोष व्रत पर करे ये उपाए , धन की कभी नहीं होगी कमी

अगर हाथ में नहीं रुकता पैसा , आज सावन प्रदोष व्रत पर करे ये उपाए , धन की कभी नहीं होगी कमी, सावन माह में सोमवार व्रत ही नहीं बल्कि प्रदोष व्रत (Sawan Shukra pradosh vrat) का भी बहुत महत्त्व होता है। इस समय भगवान शिव का प्रिय सावन माह चल रहा है। इस माह में महादेव की आराधना का विशेष फल मिलता है। खास तौर पर यदि सावन के सोमवार अथवा प्रदोष पर भोलेनाथ की पूजा की जाए तो भक्तों की समस्त इच्छाएं अवश्य ही पूर्ण होती हैं। यदि किसी को धन की समस्या रहती है तो आज आप पर लक्ष्मी जी की कृपा हो सकती है।

आज 14 जुलाई 2023, शुक्रवार को सावन का पहला प्रदोष व्रत है. शुक्रवार के दिन पड़ने के कारण इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा. प्रदोष व्रत के दिन शिव जी की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्‍य बढ़ता है. सारे कामों में सफलता मिलती है. बाधाएं, कष्‍ट दूर होते हैं. ज्योतिषाचार्य पंडित रामदास के अनुसार सावन माह का पहला प्रदोष व्रत 15 जुलाई 2023 (शनिवार) को आ रहा है। इस दिन शनिवार होने के कारण इसे शनि प्रदोष भी कहा जाएगा। अगर आप भी इस दिन शुभ मुहूर्त में पूरे विधि-विधान से शिव की पूजा करेंगे तो निश्चित रूप से आपके मनोरथ पूरे होंगे।

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सावन प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त

हिंदी पंचांग के अनुसार सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि आज 14 जुलाई 2023 की रात 07 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगी और 15 जुलाई 2023 की रात 08 बजकर 32 मिनट पर समाप्‍त होगी. चूंकि प्रदोष व्रत में शिव जी की पूजा प्रदोष काल या शाम के समय करने का महत्‍व है इसलिए कुछ लोग आज और कुछ लोग कल यानी कि 15 जुलाई, शनिवार को प्रदोष व्रत कर रहे हैं. जो लोग आज प्रदोष व्रत कर रहे हैं उनके लिए शिव पूजा करने का शुभ समय शाम 07 बजकर 21 मिनट से रात 09 बजकर 24 मिनट तक रहेगा.

शुक्र प्रदोष व्रत का महत्त्व और लाभ

शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी और शुक्र देव को समर्पित है. ऐसे में शुक्र प्रदोष व्रत और पूजा करने से जातक को भगवान शिव, माता लक्ष्मी और शुक्र देव तीनों की कृपा मिलती है. शुक्र भौतिक सुख, सुविधाएं और धन-ऐश्‍वर्य देते हैं. मां लक्ष्‍मी धन-दौलत, सुख देती हैं. वहीं महादेव सारे कष्‍ट दूर करते हैं और मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

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शुक्र प्रदोष व्रत पूजा विधि

प्रदोष व्रत के दिन केवल एक समय फल खाने का विधान बताया गया है. बेहतर होगा कि बिना कुछ खाए यह व्रत करें. प्रदोष व्रत की सुबह स्‍नान करने के बाद व्रत का संकल्‍प लें और शिव जी की पूजा करें. शाम के समय शुभ मुहूर्त में शिव-पार्वती को पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराकर बिल्व पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, भोग, फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं. फिर आटे के 8 दीपक बनाएं और घी का उपयोग करते हुए प्रज्‍वलित करके चारों दिशाओं में रख दें. आखिर में शिव चालीसा पढ़ें और आरती करें.

जो भक्त बाबा भोलेनाथ को प्रसन्न करना चाहते हैं, उन्हें प्रदोष व्रत अवश्य ही करना चाहिए। सुबह जल्दी उठ कर स्नान आदि से निवृत्त होकर किसी शिव मंदिर में जाएं। वहां पर गणेशजी की पूजा कर उन्हें मनाएं। इसके बाद भगवान शिव, मां पार्वती, कार्तिकेय और नंदीश्वर की पूजा करें। शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक करें। गंगाजल नहीं होने पर जल से भी अभिषेक कर सकते हैं। श्वेत चंदन से उनका श्रृंगार करें। पूरे दिन व्रत रखें एवं निराहार रहते हुए केवल एक समय फलाहार ग्रहण करें। साथ ही शिव के पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का कम से कम 1100 बार जप करें। इस व्रत करने से भगवान अपने भक्तों पर अवश्य ही प्रसन्न होते हैं।

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