आज हरितालिका तीज में आप भी शामिल करे यह 10 सामग्री, होगी गौरा माता प्रसन्न, जाने शुभ अशुभ मुहर्त के बारे में

आज हरितालिका तीज में आप भी शामिल करे यह 10 सामग्री, होगी गौरा माता प्रसन्न, जाने शुभ अशुभ मुहर्त के बारे में, आज का दिन लड़किया और शादी सुदा औरतो के लिए बेहद ही खास रहता ही पर सुहागन औरते अपने पति के लम्बी आयु के लिए व्रत रखती ह तो व्ही लड़किया मनचाहा वर पाने के लिए यह व्रत रखती है. इस पर्व का संबंध शिव जी और पार्वती जी से है. इस दिन रात भर जागरण कर गौरीशंकर की पूजा का विधान है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत सर्वप्रथम मां पार्वती ने किया, शिव को पति के रूप में पाने के लिए आइये जानते है पूजा के सामग्री के बारे में.
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हरतालिका तीज के पूजा की उपयोगी सामग्री

शिवलिंग बनाने के लिए तालाब या नदी की स्वच्छ मिट्टी, रेत का भी उपयोग कर सकेत हैं चंदन, जनेऊ, फुलेरा, पुष्प, नारियल, अक्षत5 पान के पत्ते, 5 इलायची, 5 पूजा सुपारी, 5 लौंग, 5 प्रकार के फलदक्षिणा, मिठाई, पूजा की चौकी, धतूरे का फलकलश, अभिषेक के लिए तांबे का पात्र, दूर्वा, आक का फूलघी, दीपक, अगरबत्ती, धू, कपूर, व्रत कथा पुस्तक
शिव भगवान को चढ़ाने के लिए 16 तरह के पत्त्ते

शिव भगवान बेलपत्र, तुलसी, जातीपत्र, सेवंतिका, बांस, देवदार पत्र, चंपा, कनेर, अगस्त्य, भृंगराज, धतूरा, आम पत्ते, अशोक पत्ते, पान पत्ते, केले के पत्ते, शमी के पत्ते भोलेनाथ और पार्वती को विशेषतौर पर चढ़ाना चाहिए.
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सुहाग की वस्तुए

हजारितालिका में सुहाग की वस्तुओ का बहुत महत्व मना जाता है इसे सर्श्रेष्ठ तरीके से गौरी पूजा में शामिल किया जाता है हरतालिका तीज में सुहाग की पिटारी का विशेष महत्व है, इसमें कुमकुम, मेहंदी, बिंदी, सिंदूर, बिछिया, काजल, चूड़ी, कंघी, माहौर शामिल करें.
हरतालिका तीज की पूजा का मुहूर्त
मनोवांछित जीवनसाथी की कामना के लिए सोमवार का व्रत रखा जाता है और शिव पूजा की जाती है. इसके अलावा आज इंद्र योग सुबह से लेकर पूरी रात तक है, वहीं रवि योग दोपहर से रात तक है, हरतालिका तीज पूजा के समय शुभ स्वाती नक्षत्र है. हरितालिका तीज का महूर्त और सही समय कब व्रत करना चहिये और कब छोड़ना चाहिए तक हिंदू धर्म में सुहागिन स्त्रियों के लिए हरतालिका तीज का व्रत बहुत मायने रखता है. शास्त्रों के अनुसार हरतालिका तीज की पूजा प्रदोष काल में करना श्रेष्ठ माना जाता है.
हरतालिका तीज पर पूजा के लिए सुबह 06.07 से सुबह 08.34 मिनट तक शुभ मुहूर्त है.वहीं प्रदोष काल में चार प्रहर की पूजा शाम 06.23 मिनट से शुरू हो जाएगी. पहला प्रहर शाम 06.23 – रात 09.02 दूसरा प्रहर रात 09.02 – प्रात: 12.15, 19 सितंबर तीसरा प्रहर प्रात 12.15 – प्रात: 03.12 (19 सितंबर) चौथा प्रहर प्रात 03.12 – सुबह 06.08 (19 सितंबर)