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मछली पालन: मिश्रित मछली पालन से तीन गुना अधिक होगी कमाई, जानिए पूरी जानकारी

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क्या है मिश्रित मछली पालन और इससे होने वाले लाभ :

किसान खेती के साथ-साथ मछली पालन कर अपनी आय दोगुनी कर सकते हैं। मछली पालन आज एक बहुत अच्छा व्यवसाय बन गया है। इस व्यवसाय में नई तकनीकों का प्रयोग कर मछुआरे अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। आज कई युवा मछली पालन व्यवसाय से जुड़कर लाखों रुपये कमा रहे हैं। आय या लाभ मछली के बेहतर उत्पादन पर ही निर्भर करता है। इसलिए मछली पालन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के तरीकों या तकनीकों का उपयोग किया जाता है। उन तकनीकों में से एक मिश्रित मछली पालन है। इस तकनीक के माध्यम से मछली किसान पांच गुना अधिक मछली का उत्पादन कर सकते हैं, जिससे उनकी आय तीन गुना तक बढ़ सकती है। आज हम आपको ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से मिश्रित मछली पालन तकनीकों की जानकारी दे रहे हैं ताकि आप इससे बेहतर लाभ प्राप्त कर सकें।

तकनीक : मिश्रित मछली पालन की

मिश्रित मछली पालन में कार्प मछली और कैट फिश को एक साथ पाला जाता है। कार्प मछली के अंतर्गत रोहू, कतला, मृगल और बिग हैड मछलियां आती हैं।वहीं केट फिश के प्रजाति के तहत पंगास मछली का पालन किया जाता है। संक्षेप में कहे तो ये बिलकुल मिश्रित खेती जैसा ही है जहां एक खेत में कई प्रकार की फसलों को एक साथ उगाया जाता है। उत्पादन में बढ़ोतरी और आय बढ़ाने की दृष्टि से मिश्रित मछली पालन और मिश्रित खेती दोनों की अहम भूमिका है। मछली पालन की वह तकनीक है जिसमें अलग-अलग प्रकार की मछलियों का पालन किया जाता है।.

तालाब की तैयारी :मिश्रित मछली पालन के लिए

मिश्रित मछली पालन शुरू करने से पहले तालाब की तैयारी पर विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि मछली की कटाई में कोई बाधा न आए। इसके लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।

01.जिस तालाब में आप मिश्रित मछली पालन शुरू करना चाहते हैं, वहां सभी बांध मजबूत होने चाहिए और पानी का प्रवेश और निकास सुरक्षित होना चाहिए ताकि बारिश के मौसम में तालाब क्षतिग्रस्त न हो। साथ ही तालाब में पानी का मार्ग इस तरह से होना चाहिए कि विदेशी मछलियां तालाब में प्रवेश न कर सकें और न ही तालाब की जमा हुई मछलियां बाहर जा सकें।
तालाब में उगने वाले जलीय पौधे न केवल मछलियों के शत्रुओं को आश्रय प्रदान करते हैं, बल्कि वे तालाब की उर्वरता को भी अवशोषित करते हैं और पानी के भंडारण में बाधा डालते हैं। इसके लिए तालाब की अच्छी तरह से सफाई करनी चाहिए।

02:यदि तालाब में बोआरी, टेंगरा, गरई सौरा, कवई बुल्ला, पबदा, मांगुर आदि मांसाहारी (परभक्षी) मछलियां हैं तो उन्हें तालाब से बाहर निकाल देना चाहिए। इसके लिए तालाब में जाल बिछाकर या तालाब का पूरा पानी निकलकर मछलियों को चुनकर बाहर किया जा सकता है। शाकाहारी मछलियों के साथ मांसाहारी मछलियों को नहीं पालना चाहिए

03.सामान्यत: 100 किलोग्राम भाखरा चूना का प्रति एकड़ जलक्षेत्र में छिडक़ाव मत्स्य बीज संचयन के करीब 10 से 15 दिन पहले कर दिया जाना चाहिए। 50 चूना का प्रयोग सर्दी शुरू होने एवं 50 कि.ग्रा. चूना का प्रयोग गर्मी के मौसम प्रारंभ होने पर करना अच्छा रहता हैतालाब के पानी को थोडा क्षारीय होना मछली की वृद्धि एवं स्वास्थ्य हेतु अच्छा होता है। अधिक अम्लीय जल वाले तालाबों में और भी अधिक भखरा चूना की आवश्यकता होती है।

उत्तम प्रजातियां : मिश्रित मत्स्य पालन के लिए :

भारतीय मछलियों में कतला, रोहू और मृगल तथा विदेशी कार्प मछलियों में सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प और कॉमन कार्प अधिक लाभकारी होते हैं।

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