खेती किसानी : फसल को रोगग्रस्त होने से बचाये इन उपयो से

किसान भाई अपनी फसल को रोग ग्रस्त होने से बचा सकते हैं :
अच्छी पैदावार मिलने पर किसानों को उनकी फसल से अच्छा लाभ मिलता है. जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है. अपनी फसल से उत्तम पैदावार लेने के लिए किसान भाई को उसकी देखभाल और समय पर रोपाई करना जरूरी होता है. अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए किसान भाई कई तरह के उपाय करता है. जिसके लिए उसे काफी ज्यादा खर्च उठाना पड़ता हैं.
आज हम आपको कुछ ऐसे उपायों के बारें में बताने वाले हैं, जिन्हें अपना कर किसान भाई अपनी फसल को रोग ग्रस्त होने से बचा सकते हैं. इन उपायों की किसान भाई फसल की रोपाई से पहले अपना सकता है. जिस कारण फसल में कई तरह के रोग भी नही लगते और पैदावार भी अच्छी होती है.
मिट्टी की जांच करवाकर :
फसल की रोपाई से पहले मिट्टी की जांच करवाकर किसान भाई फसल को रोगग्रस्त होने से बचा सकता हैं. किसान भाई अपने खेत की मिट्टी की जांच सरकार द्वारा चलाई जा रही सॉयल हेल्थ कार्ड स्कीम के तहत करवा सकता है. और प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर ही किसान भाई उचित मात्रा में उर्वरक का इस्तेमाल अपने खेत में कर सकता है. जिससे फसलों को उर्वरक की कमी की वजह से लगने वाले रोगों से बचा जा सकता है. और साथ में गलत उर्वरकों पर होने वाले अनावश्यक खर्च से भी किसान भाई बच जाता है. और फसल से पैदावार भी अधिक मिलती है.
खेत की सफाई कर :
खेत की तैयारी के दौरान कुछ जंगली खरपतवार खेत के चारों तरफ बनाई गई मेड पर देखने को मिलती है. इन अनावश्यक जंगली खरपतवारों के पौधों में कई तरह के कीट अपना घर बना लेते हैं. इसलिए खेत की जुताई से पहले इनको उखाड़कर नष्ट कर दें. इससे इनमें घर बनाने वाले कीट नष्ट हो जाते हैं.
खेत की जुताई कर
खेत की जुताई के माध्यम से किसान भाई अपनी फसलों को ना सिर्फ रोग लगने से बचा सकता हैं. अपितु फसल से अधिक पैदावार भी हासिल कर सकता है. इसके लिए किसान भाई जब खेत से पहली फसल की कटाई कर लें तब खेत की शुरुआत में गहरी जुताई कर कुछ दिन के लिए खुला छोड़ दें. इससे खेत की मिट्टी में पाए जाने वाले हानिकारक किट नष्ट हो जाते हैं. जिससे पौधों में मृदा जनित रोगों में कमी देखने को मिलती है.
उचित बीजों का चयन और उपचारित कर :
फसल को रोगग्रस्त होने से बचने और उससे अधिक पैदावार लेने के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों का चयन काफी अहम होता है. वर्तमान में काफी कंपनियों के प्रमाणित बीज बाज़ार में उपलब्ध हैं. जिन्हें कई तरह के रोग नही लगते. जिनको अच्छी फसल के लिए किसान भाई आसानी से उगा सकता है. इसके अलावा जो किसान भाई साधारण बीजों को खेत में उगाता है. उसे बीज या पौधा की रोपाई के दौरान उन्हें बाविस्टीन, थिरम, कैप्टान दवा या गोमूत्र से उपचारित कर लेना चाहिए. इससे पौधों में अंकुरण के वक्त दिखाई देने वाले ज्यादातर रोग नही लग पाते हैं. और बीजों का अंकुरण अच्छे से होता है. जिसे फसल से अधिक और उत्तम मात्र में पैदावार मिलती है.
उचित जल प्रबंधन :
खेत में जल भराव होने की वजह से फसल में कई तरह के रोग लग जाते हैं. जल भराव की वजह से होने वाले रोग पैदावार को काफी ज्यादा नुक्सान पहुँचाते हैं. इसलिए बीज की रोपाई से पहले खेत में उचित जल प्रबंधन कर जल भराव की समस्या से निपटा जा सकता हैं. जल प्रबंधन के लिए खेत की जुताई के बाद उसमें पाटा चलाकर भूमि को समतल बना दे. जिससे भूमि में जल भराव वाली समस्या उत्पन्न ही न हो.
बीज रोपाई के दौरान ग्रोइंग ट्रैप फसलें उगाकर :
ग्रोइंग ट्रैप फसलें वो होती है जो कीटों को मुख्य फसल तक पहुँचने से पहले ही अपनी और आकर्षित कर लेती है. जिससे फसल पर कीटों का आक्रमण कम हो जाता है. उदाहरण के लिए वर्तमान में बी.टी. कपास के बीजों की रोपाई के दौरान बीजों के पैकट में एक छोटा पैकट होता हैं. जिसकी तीन से चार लेयर खेत के चारों तरफ उगाकर किसान भाई कपास में लगने वाले रोगों के छुटकारा पा सकता है